गुरुवार, जनवरी 01, 2009

जीवन

जीवन जिसमें धूप है, 

जीवन जिसमें छाया है, 

अनदेखी, अनजानी सी, 

अजब, अनोखी माया है |

 आँखों से जब नीर बहें, 

ज़ंजीर बनें, वो भी जीवन, 

आँखों से जब नूर बरसता, 

चित हँसता, वो भी जीवन |

वो भी जीवन, 

आजीवन जिसमें, 

जीने मरने की रीत है, 

वो भी जीवन, 

आजीवन जिसमें, 

कभी हार, कभी जीत है|  

जीवन एक भवसागर है, 

पल-पल लहरें उठती जिसमें, 

जीवन तो है भूल-भुलैया, 

कदम-कदम पर धोका जिसमें,

जीवन की हर चाल निराली, 

जीवन का हर खेल अजब है, 

जीवन से ना अति-मोह लगाना, 

समझ सको तो येही समझ है|